वाराणसी कोलकाता का नया मार्ग Varanasi Kolkata Expressway
Getting your Trinity Audio player ready...
|
Varanasi : उत्तर प्रदेश के वाराणसी से लेकर पश्चिम बंगाल के कोलकाता तक एक नवीन एक्सप्रेसवे (Varanasi Kolkata Expressway) का निर्माण किया जा रहा है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी को कनेक्टीविटी की बड़ी सौगात देने वाली है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत के सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा निर्देशन में उत्तर प्रदेश एक एक्सप्रेस प्रदेश बन करके समस्त भारत को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
इसी क्रम में हम आपको बता दें की वाराणसी को भी एक्सप्रेसवे की सौगात मिली है और वाराणसी अब बिहार होते हुए सीधा कोलकाता से जा मिलेगी।
Read Also
अब कश्मीर में हुआ बड़ा खेला, 75 वर्षों बाद बदला इतिहास
अयोध्या श्री राम मंदिर का दिखा दिव्या अलौकिक दृश्य
बता दें कि यह वाराणसी-रांची-कोलकाता सिक्सलेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना के द्वितीय चरण का भाग है। और इसके अंतर्गत देश के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में उच्च गति कनेक्टिविटी प्रदान करने की योजना बनाई गई है। जिसमें वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे प्रमुख है।
बता दें कि वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे का आरंभिक बिंदु राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) -19 और वाराणसी रिंग रोड (रेवासा गाँव के पास) के जंक्शन से आरंभ होता है और पश्चिम बंगाल राज्य में हावड़ा जिले के उलुबेरिया के पास NH-16 पर समाप्त होता है।
वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि 610 किमी की ग्रीनफील्ड प्रवेश नियंत्रित अर्थात एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है। तथा इसका निर्माण लगभग 30 हजार करोड़ रुपये की लागत से होना है।
वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे की मार्ग संरेखण कि जानकारी हेतु बता दें कि यह उत्तर प्रदेश में 22 किमी, बिहार में 159 किमी, झारखंड में 187 किमी और पश्चिम बंगाल में 242 किमी की दूरी तय करेगा।
वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे 6 से 8 लेन का बनेगा तथा इसे आगे और भी चौड़ा किया जा सकेगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) 6 लेन वाले वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे के निर्माण हेतु वर्तमान समय में बोलियां आमंत्रित कर रहा है।
परियोजना संरेखण की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे (Varanasi Kolkata Expressway) चंदौली में वाराणसी रिंग रोड से आरंभ होगा। राज्य की सीमा पार करने के पश्चात यह बिहार में प्रवेश करेगा। बिहार के कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जिलों से गुजरने के पश्चात एक्सप्रेसवे झारखंड में प्रवेश करेगा। झारखंड के चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, पीटरबार और बोकारो से गुजरेगा। वहीं पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बांकुरा और आरामबाग से होकर गुजरेगा। वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे उलुबेरिया पर समाप्त होगा। उलुबेरिया का क्षेत्र कोलकाता के निकट ही है।
Read Also
खुशखबरी : अब बाबा विश्वनाथ के दर्शन होंगे रोपवे के माध्यम से भी
मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के निर्माण कार्य ने चौंकाया
यह भी बता दें कि वर्तमान रूट के अनुसार, वाराणसी से कोलकाता की दूरी लगभग 690 किमी है। दोनों के बीच यात्रा करने में फिलहाल 12 से 14 घंटे लगते हैं। वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे बनने से यह यात्रा आधे समय में पूरा होगा और कार से 7 घंटों में वाराणसी से कोलकाता पहुंचा जा सकेगा। बीच में पड़ने वाले नगरों में भी शीघ्र ही पहुंचा जा सकेगा।
वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल, यूपी, बिहार और झारखंड में कोलकाता और हल्दिया बंदरगाहों से ही माल लाया ले जाया जाता है। एक्सप्रेसवे के बनने से माल की यातायात का समय कम हो जाएगा। इससे इन राज्यों में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
वर्तमान परिस्थिति की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस वाराणसी- रांची- कोलकाता छह लेन एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए एजेंसियों का चयन शीघ्र कर लिया जाएगा। इस मल्टीपरपस प्रोजेक्ट के निर्माण को लेकर कई बिडरों ने रूचि दिखायी है।
परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि 610 किमी रोड डेवलपमेंट के लिए इस वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे को 13 पैकेज में विभाजित किया गया है। जिसमें आठ पैकेज 1,2,3,6, 7, 8, 9 और 10 के लिए नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया एनएचएआई ने तकनीकी बिड खोल दिया है। जिसमें 28,500 करोड़ की लागत आने का आकलन किया गया है।
एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया कि झारखंड राज्य में 10 हजार करोड़ से अधिक लागत आने का आंकलन किया गया है। इस नये ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का एलाइनमेंट नेशनल हाइवे एनएच 19, ओल्ड एनएच 2, जीट रोड के 10-15 किमी अंदर से सामानांतर रूप से प्रारंभ होगा। एनएचएआई ने इसका टेंडर हाईब्रिड एननयूटी मोड पर कराने का निर्णय लिया है। टेंडर अवार्ड होने के 2 साल में इसे बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
एनएनएचएआई के पदाधिकारोिं से मिली जानकारी के अनुसार इस सड़क के लिए शेष चरणों के लिए भी निर्माण को लेकर निविदा जारी करने की कार्रवाई चल रही है। जो कुछ ही दिनों में जारी की जा सकती है।
जिन बिडरों ने रूचि दिखाई है उनके नाम हैं:-
एपको इंफ्राटेक – फेज-1,2,3 के लिए
बरब्रिक प्रोजेक्ट – फेज 8
सिएगेल इंडिया – फेज 3
दिलीप बिल्डकॉन – फेज 1 और 2
दिनेशचंद्रा आर अग्रवाल इंफ्राकॉन प्रावट लि. फेज 6
जीआर इंफ्राप्रोजेक्ट्स-फेज 1,2, 3,6,7,8, 9 और 10
केसीसी बिल्डकॉन प्राइवेट लि. फेज 1, 2, 3
एमजी कंस्ट्रक्शन-फेज 1, 6 और 8
मोंटेकार्लो लि. फेज 7 और 8
एनकेसी प्रोजेक्ट प्राइवेट लि. फेज 1
पीएनसी इंफ्राटेक लि. फेज 1, फेज 2, 3 और 6
रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लि. फेज 9 सिर्फ
Read Also
अयोध्या का कायाकल्प करने को अयोध्या रिंग रोड ने पकड़ी रफ़्तार
होश उड़ाने आ रही वन्दे भारत मेट्रो सबसे पहले PM मोदी की वाराणसी में
यदि आप यह जानना चाहते हैं कि कब से आरंभ होगा इसका निर्माण तो आपको हम बता दें कि एनएचएआई ने फिलहाल हाइब्रिड एन्युइटी मोड (एचएएम) पर 8 पैकेजों के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। अर्थात इसके लिए निर्माण एजेंसी के चयन के लिए टेंडर जारी हो चुका है। तथा कुल 13 पैकेजों के लिए बिडिंग व टेंडर प्रक्रिया संचालित है।
बता दें कि वर्तमान में प्रयागराज और वाराणसी होते हुए कोलकाता जाने को लेकर जीटी रोड ही प्रमुख मार्ग के रूप में है। परंतु इस नवीन सड़क से कैमूर और रोहतास जिले के विकास को गति मिलेगी। पड़ोसी जिले बक्सर और भोजपुर के लोग भी इसका प्रयोग कर सकेंगे। इसके माध्यम से रांची की ओर जाने के लिए एक और मार्ग का विकल्प मिल जाएगा।
अब हम आपको इस परियोजना से होने वाले लाभ की जानकारी देने हेतु बता दें कि इस एक्सप्रेसवे के बनने से वाराणसी से कोलकाता का यात्रा 12 घंटे से घटकर मात्र छह घंटे की रह जायेगी। साथ ही बिहार में 10 हजार करोड़ की लागत से 163 किमी का कॉरिडोर बनेगा।
यह पूर्वी भारत के प्रमुख खनिज उत्पादक क्षेत्रों – झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल की सेवा करेगा। इसके अतिरिक्त प्रधान मंत्री (पीएम) गति शक्ति के साथ सामंजस्य के भाग के रूप में, एक्सप्रेसवे को प्रमुख औद्योगिक नोड्स से भी जोड़ा जाएगा।
सबसे महत्वपूर्ण वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे देश की दो सांस्कृतिक राजधानियों वाराणसी और कोलकाता को जोड़ेगा। इस एक्सप्रेसवे पर सवार होकर, एक भक्त को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से कोलकाता के कालीघाट मंदिर तक पहुंचने में लगभग 6 घंटे लगेंगे, जो एक ही दिन में शिव और काली दोनों की पूजा करते हैं।
इसके साथ ही सरकार पूर्वी भारत के अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों को इस एक्सप्रेस-वे से जोड़ने की रणनीति पर कार्य कर रही है। जिनमें प्रमुख धार्मिक स्थानों में कैमूर में मां मुंडेश्वरी मंदिर, औरंगाबाद में देव सूर्य मंदिर, गया में महाबोधि मंदिर, चतरा में भद्रकाली मंदिर, रामगढ़ के रजरप्पा और बोकारो में लुगुबुरु घंटाबारी सम्मिलित हैं।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-