अयोध्या राम मंदिर पर यूपी सरकार हुई Active, भक्तों को मिली दोहरी खुशी
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उत्तर प्रदेश में नई सरकार का गठन होते ही अब विकास कार्यों में तेजी आने लगी है। एवं अयोध्याजी की पावन धरा पर भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर के निर्माण कार्य की गति समस्त भारतवर्ष तथा समस्त सनातनीयों का मन मोह रही है।
अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर निर्माण का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। राम जन्मभूमि निर्माण समिति (ram janmabhoomi construction committee meeting) की बैठक बीते बुधवार को संपन्न हुई है।
जिसमें कि राम मंदिर निर्माण की प्रगति का आंकलन करते हुए पाया गया कि कोरोना महामारी की वैश्विक आपदा के पश्चात भी राम की कृपा से राम मंदिर के फाउंडेशन से लेकर प्लिंथ तक कार्य 30 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है।
24 घंटे चल रहे इस कार्य में अनेक बाधाओं के पश्चात भी निर्धारित कार्य समयबद्ध रीति के अनुरूप ही चल रहा है। यह संतोष का विषय है। फिर भी देशभर के रामभक्त अतिशीघ्र रामलला को नियत स्थल पर अपने मंदिर में प्रतिष्ठित देखना चाहते हैं, उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मूल मंदिर पर विशेष फोकस किया गया है। इसके कारण प्लिंथ अर्थात फर्श अथवा कहें तो राम चबूतरा का निर्माण यथाशीघ्र कराने पर मंथन किया गया है।
चूंकि मंदिर निर्माण के अनेक तकनीकी पहलु हैं जिन पर इंजीनियरिंग विधा के विशेषज्ञ मंथन करते है, इसीलिए हड़बड़ी में निर्णय नहीं लिया जा सकता।सबसे महत्वपूर्ण है कि अब तक 30 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। अभी नींव के ऊपर 21 फीट ऊंची प्लिंथ का काम चल रहा है। इसमें देश भर के बड़े-बड़े इंजीनियर और कंस्ट्रक्शन कंपनियां लगी हुई है तो वही निर्माण में देश के कई बड़ी मशीनों को भी मंदिर निर्माण की परिसर में उतार दिया गया है। चूंकि नींव का कार्य ही सबसे प्रमुख कार्य था। इसलिए 30% कार्य को पूरा माना जा रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के दिव्य मंदिर का निर्माण संतोषजनक ढंग से और समयबद्ध ढंग से चल रहा है परन्तु दिसम्बर 2023 तक इस मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा कराने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कार्य की गति को पहले की अपेक्षा और गति देनी पड़ेगी। यह निष्कर्ष मंदिर निर्माण समिति की बैठक में प्रगति की समीक्षा के पश्चात निकला है। ऐसी स्थिति में मशीनों के साथ मैनपॉवर भी बढ़ाना आवश्यक हो गया है। इसके लिए कार्यदाई संस्था एलएण्डटी के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई है।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें कि मंदिर निर्माण के अगले चरण में मुख्य मंदिर के भवन का निर्माण होना है। जून के पश्चात मानसून का आगमन हो जाता है। ऐसी स्थिति में मई के अंत तक मंदिर के फर्श के साथ रिटेनिंग वॉल का निर्माण भी पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जो भी उपाय करने की आवश्यकता है, उसे अपनाने की अनुमति कार्यदाई संस्था को प्रदान कर दी गई है।
बता दें कि मंदिर परिसर के पश्चिमी ओर रिटेनिंग वाल का निर्माण सरयू की धारा से बचाने के लिए किया जा रहा है, जो भूमि में लगभग 40 फुट गहराई पर रहती है। इसकी नींव की गहराई सरयू नदी की जमीनी धारा से भी गहरी होगी।जानकारी के लिए बता दें कि फर्श निर्माण में ग्रेनाइट की सेटिंग के लिए क्रेन टावरों की संख्या 15 दिन पहले ही दो से बढ़ाकर चार कर दी गई है। इससे पत्थरों को सुरक्षित और शीघ्रता से आवश्यक जगह पर पहुंचाने में सहायता मिल रही है। जिससे एक दिन में 80 से 100 पत्थरों को रखवाया जा सकेगा। अभी तक एक दिन में अधिकतम दस से 15 पत्थरों की सेटिंग ही हो रही थी।
जानकारी के लिए बता दें कि राम मंदिर निर्माण में फाउंडेशन का कार्य पूरा किए जाने के साथ ही 21 फुट ऊंचे मंदिर के प्लिंथ को तैयार किया जा रहा है। रामचबूतरा में 5 फिट लंबा, ढाई फिट चौड़ा और 3 फिट ऊंचे पत्थरों की सात लेयर बिछाई जानी हैं। यह कार्य कर्नाटक के ग्रेनाइट पत्थरों से किया जा रहा है। जो कि वर्षा ऋतु प्रारंभ होने से पहले ही जून माह तक पूरा कर लिया जाएगा। जिसके पश्चात राजस्थान के पिंक पत्थरों से मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ होगा। जिसके लिए पहले पत्थरों को रखने व उठाने के लिए संसाधनों को आवश्यकता के अनुरूप पूरा करने के साथ इस समयावधि में पानी व बिजली की उपलब्धता सहित अन्य व्यवस्था की उपलब्धता के लिए परिसर में तैयारी भी आरंभ कर दिया गया है। माना जा रहा है कि सुपरस्ट्रक्चर का निर्माण भी जुलाई माह से प्रारंभ कर दिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें कि राम मंदिर आंदोलन के समयावधि में देश भर से रामभक्तों के द्वारा भेजी गयी पूजित रामशिलाओं को रखने का स्थान भी भवन निर्माण समिति की बैठक में तय कर दिया गया है। पहले इन शिलाओं की प्रदर्शनी लगाने पर विचार हो रहा था। परंतु चूंकि रामशिलाओं को मंदिर निर्माण के दृष्टिगत भेजा गया है तो शिलाओं का उपयोग मंदिर में ही किया जाएगा। इसके लिए इन्हें गर्भगृह के बाहर परिक्रमा पथ की नींव में स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। रामजन्मभूमि ट्रस्ट के अनुसार जो भी श्रद्धालु मंदिर आते हैं, वह चौखट का ही स्पर्श कर प्रणाम करते हैं, इसलिए शिलाओं को वहीं यथोचित सम्मान मिलेगा। ज्ञात हो कि देश भर के साढ़े तीन लाख गांवों के अतिरिक्त विदेशों से यहां दो लाख 76 हजार शिलाएं आई थीं। इसके अतिरिक्त यत्रतत्र से भी व्यक्तिगत स्तर पर शिलाएं लाई गयी थी। इस प्रकार इनकी संख्या लगभग तीन लाख है।
रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मंदिर निर्माण के मध्य दो दिनों तक चली भवन निर्माण समिति की बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुसार यात्री सुविधाओं के विकास को ध्यान में रखते हुए 50 हजार श्रद्धालुओं के सामान को एक साथ रखवाने के लिए लॉकर की सुविधा उपलब्ध कराने पर विचार किया गया है।इसी प्रकार से परिसर में एक साथ दो लाख दर्शनार्थियों के पहुंचने पर उनके ठहरने व बुजुर्ग श्रद्धालुओं के विश्राम के लिए आवश्यक प्रबंध पर भी विचार किया गया। इसके अतिरिक्त दर्शनार्थियों के लिए पीने के लिए शुद्ध पेयजल व शौच आदि के प्रसाधन की सुविधा उपलब्ध कराने पर भी विचार मंथन हुआ है। इसके अतिरिक्त फायर सर्विस के लिए पानी का स्टोरेज व अग्निशमन वाहनों की व्यवस्था पर भी विमर्श किया गया। तथा 70 एकड़ परिसर में मंदिर स्थल को छोड़कर यात्रियों से सम्बन्धित व्यवस्थाएं कहां और किस प्रकार कराई जाए, इस बारे में भी विमर्श किया गया है।
हजार वर्ष तक टिकने वाले राम मंदिर के निर्माण को लेकर प्रदेश सरकार भी प्रयत्नशील है। इसी क्रम में अपर मुख्य गृह सचिव अवनीश अवस्थी अयोध्या पहुंचे और उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ राम जन्मभूमि की सुरक्षा व भक्तों की सुविधाओं पर मंथन किया। उन्होंने राममंदिर निर्माण कार्य को देखा साथ ही विकास कार्यों की भी प्रगति जानी। सुरक्षा के साथ भक्तों के लिए सुविधाएं बढ़ाने के काम में तेजी लाने का निर्देश भी दिया।उन्होंने सुग्रीव किला से राम जन्मभूमि तक निर्माणाधीन संपर्क मार्ग का भी निरीक्षण किया और स्थानीय दुकानदारों से भी बात की। दुकानदारों को आश्वस्त किया कि विकास कार्य उनकी भावना के अनुरूप किया जाएगा।अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रहा है। काशी कॉरीडोर की तर्ज पर ही अयोध्या में भी सुरक्षा व सुविधा का व्यवस्था किया जाएगा।
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