CM योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट श्री राम की सबसे ऊँची प्रतिमा के निर्माण में हुआ महत्वपूर्ण निर्णय
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आज हम आपको में अयोध्या में भगवान श्रीराम के बनने वाले विश्व के सबसे ऊँची प्रतिमा की जानकारी देनें वाले हैं
जैसा की हम सभी जानते हैं कि अयोध्याजी की पावन धरा पर भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य तीव्र गति से संचालित है। जिसका की प्रथम चरण अर्थात नींव निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है जिसकी जानकारी हमने अपने पिछले वीडियो में दी थी। परंतु अयोध्या को त्रेतायुगी बनाने के क्रम में श्री राम मंदिर निर्माण के साथ और भी कई परियोजनाओं पर कार्य संचालित हैं और कुछ लंबित भी हैं जिनमें से एक है भगवान श्रीराम के विश्व में सबसे ऊँची प्रतिमा का निर्माण।
आइए सबसे पहले आपको हम इस परियोजना के काल चक्र की जानकारी देते हैं।
बता दें की मुख्यमंत्री बनने के पश्चात उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने वर्ष 2017 में घोषणा की थी कि वह अयोध्या को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए यूपी पर्यटन विभाग की “नवय अयोध्या” योजना के अंतर्गत अयोध्या में श्री राम प्रतिमा का निर्माण करेगी। तथा अगले वर्ष 24 नवंबर 2018 तक प्रतिमा के डिजाइन को अंतिम रूप दिया गया। तथा 2 मार्च 2019 को, उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने “विस्तृत परियोजना रिपोर्ट” अर्थात DPR के साथ-साथ परियोजना के लिए चिन्हित 28.28 हेक्टेयर के लिए ₹200 करोड़ की स्वीकृति दी। तथा गुजरात सरकार, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान और आईआईटी कानपुर से तकनीकी सहायता भी मांगी गई थी। इसके पश्चात नवंबर 2019 में, मूर्ति, संग्रहालय, पुस्तकालय, फूड कोर्ट और अन्य पर्यटक सुविधाओं के लिए मीरपुर, अयोध्या में 61 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण करने के लिए ₹447 करोड़ आवंटित किए गए थे। हालांकि भूमि अनिश्चितताओं के कारण, स्थान को अंतिम रूप नहीं दिया गया और इसे अयोध्या के मांक्षा बरहटा गांव में स्थानांतरित कर दिया गया था। तथा सितंबर 2020 तक सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत इस योजना को लेकर कैबिनेट ने स्वीकृति भी दे दी थी।
अब यदि आपको इस परियोजना के स्थान विशेष अर्थात exact Location की जानकारी दें तो बता दें की अयोध्या से लगभग 3 किमी की दूरी पर मांझा बरहटा नामक एक गाँव है। यह वही गांव है, जहां भगवान राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा बनाई जाएगी। आइए अब आपको धरातल पर उतर कर इस क्षेत्र की वास्तविकता की जानकारी देने का प्रयास करते हैं।
बता दें की इस गाँव में 70 प्रतिशत जनसंख्या पिछड़े वर्ग की है। यहाँ गाँव के लोगों में इस बात की प्रसन्नता है कि भगवान राम का मंदिर बन रहा है। परंतु जिस क्षेत्र में यह प्रतिमा बननी है, वहाँ लगभग 400 घर हैं। ऐसे में ग्रामीणों को अपने घर विहीन होने का भय भी सता रहा है। जैसा की हम सभी जानते हैं कि किसी भी परियोजना के लिए सबसे पहले भूमि की ही आवश्यकता होती है जिसे की प्रशासन स्थानीय जनता के सहमति से अधिग्रहण करती है ठीक वैसे ही यहाँ पर भी होना है परंतु भगवान श्रीराम के भव्य प्रतिमा के निर्माण जैसे विशेष व अद्वितीय परियोजना में इतना विलंब क्यों व क्या कारण है कि घोषणा के साढ़े चार वर्षों के पश्चात भी इसपर निर्माण कार्य आरंभ तक नहीं हो पाया तो इन सभी प्रश्नों के उत्तर देते हुए हम बता दें कि यहाँ विवाद केवल भूमि के क्षतिपूर्ति से जुड़ा हुआ है, स्थानीय जनता की माँग है कि वर्ष 2017 के सर्कल रेटक को बढ़ाते हुए वर्तमान समय के अनुसार सर्कल रेट से चार गुणा क्षतिपूर्ति मिलना चाहिए और सरकार दोगुनी ही क्षतिपूर्ति उपलब्ध करा रही थी, परंतु ऐसा क्यों अब हम इस कारण पर प्रकाश डालते हैं कि 2 और 4 का मामला आखिर क्यों फस रहा है क्या सरकार के पास भगवान श्रीराम जिनको की वर्तमान सरकार अपना आदर्श मानती है उनके लिए 4 गुना क्षतिपूर्ति नहीं दे सकती? इसपर सरकार का वर्तमान समय में निर्णय क्या हुआ है इसकी जानकारी देने से पहले आपको हम अयोध्या में बनने वाले श्री राम चंद्र के सबसे ऊँची प्रतिमा की जानकारी देते हैं।
बता दें की अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ सरयू नदी के तट पर बनने वाली यह प्रतिमा पंचधातु की बनेगी जिसकी ऊँचाई 251 मीटर होगी तथा श्री राम की प्रतिमा स्वयं भारतीय मूर्तिकला का अनूठा नमूना होगी। मूर्ति के भीतरी ढांचे में मजबूती के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा, परंतु बाहरी ढांचे को आकार देने के लिए कांस्य को ही प्रयोग में लाया जाएगा। इस प्रतिमा की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी की यह पूंर्णतया स्वदेशी होगी। जिसका पूरा निर्माण उत्तर प्रदेश में ही किया जाएगा। इसका कोई भी अंश विदेश में नहीं बनेगा और ना ही विदेश में इसके किसी भाग की ढलाई होगी। इसमें 20 मीटर ऊंचा चक्र होगा। मूर्ति 50 मीटर ऊंचे बेस पर खड़ी होगी। बेस के नीचे ही भव्य म्यूजियम होगा। जहां टेक्नोलॉजी के माध्यम से भगवान विष्णु के सभी अवतारों को दिखाया जाएगा। यहां डिजिटल म्यूजियम, फूड प्लाजा, लैंड स्केपिंग, लाइब्रेरी, रामायण काल की गैलरी आदि भी बनायी जायेंगी। इसके निर्माण में लगभग साढ़े तीन वर्ष का समय लगना है। तथा इस परियोजना में लगभग 2000 लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
भगवान राम की 251 मीटर ऊंची जब यह प्रतिमा बनकर तैयार हो जाएगी तो यह केवल देश ही नहीं अपितु विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। वर्तमान में विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति चीन में भगवान बुद्ध की है। जिसकी ऊंचाई 208 मीटर है। वहीं, भारत में सबसे ऊँची प्रतिमा सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है जिसकी ऊँचाई 182 मीटर है।
इस विशिष्ट प्रतिमा के निर्माता की जानकारी के लिए बता दें की वे हैं मूर्तिकार श्री राम सुतार और उनके बेटे अनिल सुतार। राम सुतार ने ही गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा की डिजाइन तैयार किया था। वे अब तक हजार से अधिक मूर्तियों का निर्माण कर चुके हैं। सुतार जी को पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित भी किया जा चुका है। सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति तथा मुंबई में बन रही बाबा साहेब की 137.2 मीटर ऊंची और छत्रपति शिवाजी महाराज की 212 मीटर ऊंची प्रतिमा भी वह ही बनवा रहे हैं। वह 50 से अधिक स्मारक प्रतिमाओं का निर्माण कर चुके हैं। संसद में लगी इंदिरा गांधी, मौलाना आजाद, जवहारलाल नेहरू समेत 16 मूर्तियों को भी सुतार ने ही बनाया है। लखनऊ में लगी मूर्तियां, नोएडा के पार्को में लगी मूर्तियां, मंगोलिया में बुद्दा की मूर्ति भी उन्होंने ही बनवायी हैं। विश्व के 450 शहरों में उन्हीं के द्वारा बनायी गई गांधी जी के मूर्ति लगी हैं।
आइए अब हम आपको इस परियोजना के वर्तमान परिस्थिति की जानकारी देते हैं। बता दें की अयोध्या के गाँव मांझा बरहटा में ही श्रीराम की यह भव्य प्रतिमा लगेगी। जहां की 80 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की कार्रवाई वर्तमान में चल रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार पैसा भी जारी कर चुकी है। भगवान राम की प्रतिमा के निर्माण पर लगभग 4000 हजार करोड़ रुपये का खर्च होंगे। इसके लिए यूपी सरकार ने 447 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत 2019 में ही कर दिया था। तथा जिसमें से 100 करोड़ का आवंटन भी किया जा चुका है।
मूर्ति निर्माण के लिए योगी सरकार ने गुजरात सरकार के साथ एक एमओयू फर हस्ताक्षर किया है, जो प्रतिमा बनाने में तकनीकी सहायता देगी।
बता दें की अयोध्या के गाँव मांझा बरहटा के निवासीयों से भूमि अधिग्रहण करने के अपने रणनीति को शासन परिवर्तित किया है जिसके अंतर्गत किसानों को अब चार गुना भूमि का मूल्य दिलाने के लिए पर्यटन विभाग के बजाय आवास विकास परिषद की ओर से भूमि क्रय करने का निर्णय लिया गया है।
जानकारी के लिए बता दें की नगर निगम का क्षेत्र होने के कारण नियमानुसार सर्किल रेट का दोगुना मूल्य ही पर्यटन विभाग की ओर से दिया जाना संभव था। परंतु एक बड़ी विसंगति यह थी कि एक ओर उसी गांव में आवास विकास परिषद ग्रीन फील्ड टाउनशिप के लिए किसानों को चार गुना मूल्य दे रहा है तो दोगुना मूल्य पर दूसरे किसान पर्यटन विभाग को अपनी भूमि कैसे दे सकते थे। परंतु पर्यटन विभाग शासनादेश के बाहर जाकर कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। जबकि इसके विपरीत आवास विकास परिषद को यह अधिकार प्राप्त है।
सरल शब्दों में कहें तो गाँव मांझा बरहटा में ही नव्य अयोध्या परियोजना अर्थात प्रस्तावित ग्रीन फील्ड टाउनशिप योजना के लिए आवास विकास परिषद ने भूमि चिंहित किया है जिसका अधिग्रहण चार गुना दर से होना है एवं उसी गाँव में पर्यटन विभाग को प्रतिमा निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण का क्षतिपूर्ति दोगुना दर से करना था इस भेदभाव के कारण स्थानीय लोगों ने भूमि ना प्रदान करने की इच्छा जताई थी। परंतु इस समस्या का समाधान निकालते हुए अब प्रशासन ने प्रतिमा के लिए भूमि अर्जन का दायित्व आवास विकास परिषद को ही हस्तांतरित कर दिया है जो की चार गुना दर से क्षतिपूर्ति करने में सक्षम है। यहाँ पर यह भी बता दें की इस समस्या का उद्घगम नगर निगम क्षेत्र के विस्तार की अधिसूचना जारी होने के पश्चात हुआ था जिसमें कि नगरीय क्षेत्र की सीमा को बढ़ाया गया था जिसे की पुनः संशोधित कर दिया गया है। तथा यह नगरीय क्षेत्र की सीमा को बढ़ाने की प्रक्रिया समान्यतः हर नगर में समय समय होती रहती है।
हम आशा करते हैं कि सरकार द्वारा परियोजना के अड़चनों का समाधान निकाले जाने के पश्चात भगवान श्री राम की भव्य प्रतिमा का निर्माण शीघ्र होगा जो न केवल करोड़ों श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ति करेगा अपितु विश्व में भगवान श्रीराम के उच्च विचार और आदर्श व्यक्तित्व के प्रतिरूप में भारत का नाम भी प्रकाशमान करेगा।
अधिक जानकारी के लिए ये विडियो देखें-