विकास को मिली 130KMPH रफ़्तार – Prayagraj Jhusi New Railway Bridge
Getting your Trinity Audio player ready...
|
Prayagraj Jhusi New Railway Bridge : किसी भी देश को विकसित होने के लिए वहां की आधारभूत संरचनाओं का सुदृढ़ होना अत्यंत आवश्यक है। और इसकी महत्ता को समझते हुए देश की वर्तमान सरकार भारत के विभिन्न आधारभूत संरचना का अभूतपूर्व विकास कर रही है। इस समय संपूर्ण भारत में हर ओर कोई ना कोई विकास कार्य संचालित है जिसका अनुभव आप स्वयं भी अपने क्षेत्र में रहकर कर रहे होंगे। इसी क्रम में आज हम आपको भारत के एक और विकास कार्य की जानकारी देने जा रहे हैं जो उत्तर प्रदेश को और बल देगा।

सबसे पहले, जानते हैं इस पूरे परियोजना के बारे में। बता दें कि 11 दिसंबर 2024 प्रयागराज के लिए एक और ऐतिहासिक दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। लगभग 100 वर्ष पश्चात गंगा पर बने नवीन रेल पुल पर विशेष ट्रेन अपनी पूरी गति के साथ दौड़ी है। और पुराने गंगा पुल को बंद कर दिया गया है।
झूंसी से रामबाग के मध्य रेल लाइन का अधूरा काम बीते दिनों पूरा होने के साथ ही प्रयागराज से वाराणसी के मध्य दोहरी लाइन बिछाने का कार्य पूरा हो गया। और अब झूंसी से रामबाग तक इसके ट्रैक भी जुड़ चुके हैं।
Read Also
भारत के पहले बुलेट ट्रेन की बड़ी उपलब्धि – From BKC to Surat
अयोध्या राम मंदिर हेतु स्टेशन मार्ग निर्माण | Ayodhya Station Road Widening & Development Project
बता दें कि इस पुल को 130 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ट्रेन दौड़ाने के लिए बनाया गया है। सबसे महत्वपूर्ण की 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हरी झंडी दिखाकर पहली यात्री ट्रेन को रवाना कर दिया है। और रामबाग से झूंसी के बीच दोहरी रेल लाइन में ही दारागंज-झूंसी नया गंगा पुल भी सम्मिलित है।
और अब रामबाग-झूंसी के बीच ट्रेनों को चलाने का नया मार्ग भी मिल गया है। यह लाइन वाराणसी से प्रयागराज तक बिछाई जा रही 120 किमी की दोहरीलाइन का भाग है। कार्य पूरा करने के लिए बीते दिनों कुछ समय के लिए झूंसी रेल फाटक भी प्रातः काल से संध्या तक के लिए बंद कर दिया था।

इस समयावधि में झूंसी और रामबाग की ओर रेल पटरियों को मुख्य लाइन से जोड़कर पुरानी लाइन से मार्ग परिवर्तित कर दिया गया है। तथा रिकार्ड समय में पुल के साथ रेल लाइन का कार्य पूरा कर लिया गया है।
इस मार्ग की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि रामबाग- झूंसी (7.33 किमी) रेल खंड के नवनिर्मित पुल, एप्रोच वायडक्ट के विद्युतीकृत लाइन के साथ दोहरीकरण कार्य भी पूरा हो गया है। तथा पहले धीमी गति से ट्रेन को चलाया जाएगा और फिर पूरी गति से ट्रेन दौड़ाई जाएगी।
Read Also
PM मोदी की काशी का नया युग – Kashi Railway Station Redevelopment
चकरा देगा यूपी का विकास, प्रदेश को मिलेगी प्रगति की रफ़्तार – Gorakhpur Link Expressway
इस परियोजना से होने वाले लाभों की जानकारी देने हेतु बता दें कि सबसे बड़ा लाभ तो यह है कि प्रयागराज जंक्शन से वाराणसी के मध्य यात्रा का समय घटेगा। झूंसी और रामबाग में ट्रेनों को पास देने के लिए रोकना नहीं पड़ेगा। एवं ट्रेनों की संख्या और गति दोनों बढ़ जाएगी। तथा महाकुंभ के समयावधि में अधिक संख्या में ट्रेनों का संचालन भी हो सकेगा। इसके अतिरिक्त प्रयागराज-अयोध्या-वारारणसी रिंग रेल अब सरलता पूर्वक चल सकेंगी।
इस पुल की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इसके बनने से अब 130 किमी प्रति घंटा की गति से चल ट्रेनें सकेंगी। और 120 मिनट में अर्थात 2 घंटे में प्रयागराज से आप वाराणसी पहुंच जाएंगे। इसके साथ ही 120 किलोमीटर रेल ट्रैक का हो रही है दोहरीकरण। इस दारागंज-झूंसी रेल पुल को 111 नंबर से जाना जाएगा। इस पुल को बनाने में 496.62 करोड़ की लागत आई है। तथा यह पुल 1934 मीटर लंबा है और इसपर दो रेल लाइन हैं।

अधिक जानकारी हेतु बता दें कि प्रयागराज के दारागंज को झूसी से जोड़ने वाला पुराना गंगा पुल, जो ब्रिटिश इंजीनियर आइजेट की देखरेख में निर्मित हुआ, आज भी अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिकता के लिए जाना जाता है। ब्रिटिश हुकूमत के समयावधि में बनी इस संरचना को आमतौर पर आइजेट पुल के नाम से भी जाना जाता है। यह पुल गंगा नदी पर स्थित है और इसे बंगाल नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे के द्वारा प्रयागराज-वाराणसी के बीच छोटी लाइन (मीटर गेज) के अंतर्गत बनाया गया था।
इस पुल का निर्माण उस समय की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया गया था, ताकि दोनों नगरों के मध्य रेलवे यातायात को सुगम बनाया जा सके। 31 अक्टूबर 1912 को इस पुल पर रेल यातायात आरंभ हुआ, जिसने क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पुराने पुल के निर्माण में उस समय लगभग 30 लाख रुपये खर्च हुए थे, जो कि उस समय एक बड़ी राशि मानी जाती थी। यह पुल न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध था, अपितु यह तकनीकी दृष्टि से भी एक उल्लेखनीय उपलब्धि थी।
पुराने गंगा पुल के डिजाइन में 40 स्पैन सम्मिलित हैं, जिनमें से प्रत्येक स्पैन एक ओपन वेब गर्डर के रूप में तैयार किया गया है। प्रत्येक गर्डर की लंबाई 45.72 मीटर है, जो इसकी स्थिरता और मजबूती का प्रतीक है। इस पुल की भव्यता और तकनीकी नवाचार ने इसे आज भी एक मजबूत और टिकाऊ संरचना के रूप में सुरक्षित रखा है। हालांकि समय के साथ यह पुल अब इतिहास के पृष्ठों में दर्ज हो गया है, परंतु इसकी महत्ता आज भी अटूट है। भारतीय रेलवे के विकास में इस पुल का योगदान सदियों तक स्मरण रखा जाएगा।

आपको हम बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर को गंगा पर बने नए रेल पुल का लोकार्पण किया है। इस पुल के साथ ही उनके द्वारा महाकुंभ मेले को लेकर प्रयागराज में रेलवे की 1609 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं का भी लोकार्पण किया जाएगा।
महत्वपूर्ण है कि इस प्रयागराज में महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh 2025) का आयोजन होने जा रहा है और इस बार 12 वर्ष के पूर्ण कुंभ का होना बहुत ही महत्वपूर्ण है धार्मिक दृष्टि से। और इस महाकुंभ में स्नान को आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान 40-45 करोड़ है। जिसको लेकर योगी मोदी सरकार किसी भी प्रकार की कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। हजारों करोड़ रुपए से महाकुंभ की तैयारी सुरक्षा व सुविधा आदि की व्यवस्था की जा रही है। ताकि प्रयागराज आने वाले सभी श्रद्धालुओं को दिव्य भव्य महाकुंभ का आंनद मिल सके और कोई भी अनहोनी ना घटित हो।

प्रधानमंत्री गंगा पर बने रेल पुल के साथ प्रयागराज रामबाग-झूंसी रेलमार्ग के बीच हुए दोहरीकरण कार्य को भी राष्ट्र के प्रति समर्पित किया। इस रेल मार्ग के साथ ही उनके द्वारा बेगम बाजार रेल ओवरब्रिज, बमरौली-मनौरी के बीच लेवल क्रॉसिंग संख्या 4 पर बना आरओबी, लेवल क्रॉसिंग संख्या 31 डीडीयू-प्रयागराज, छिवकी में लेवल क्रॉसिंग संख्या 34 ए, प्रयाग-फाफामऊ सेक्शन पर लेवल क्रॉसिंग संख्या 75 मजार फाटक, लेवल क्रॉसिंग संख्या 76 आईईआरटी व 78 बख्शी बांध आरओबी का भी लोकार्पण हो गया है।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको दारागंज-झूंसी रेल पुल की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए विडियो देखें :