G20 के बाद भारत का बड़ा स्ट्राइक, चीन पाकिस्तान हुए धुआं धुआं
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Nyoma Air Base Ladakh : विश्व में विकास की धुरी बन रहा भारत अब विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ही नहीं बन रहा अपितु G20 की सर्वोच्च सफल आयोजन करने के पश्चात अब भारत ने ऐसा सर्जिकल स्ट्राइक किया है जिससे चीन हुआ धुआं धुआं।
Nyoma Air Base Ladakh : भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2491 करोड़ रुपए की 90 परियोजनाओं का उद्घाटन किया है। राजनाथ सिंह सांबा में 422.9 मीटर लंबे देवक ब्रिज का उद्घाटन किया। और यहीं से वे 89 प्रोजेक्ट्स का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिलान्यास किया। इनमें सबसे महत्वपूर्ण 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनने वाला न्योमा एयरफील्ड भी सम्मिलित है।
बता दें कि 218 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे इस एयरफील्ड से फाइटर जेट उड़ान भर सकेंगे और उतर सकेंगे। विशेष बात ये है कि ये एयरफील्ड LAC से मात्र 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
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BRO अर्थात Border Road Organization पूर्वी लद्दाख के रणनीतिक न्योमा बेल्ट में इस एयर फील्ड का निर्माण करेगी। यह विश्व का सबसे ऊंचा एयरफील्ड होगा। इसके लिए 218 करोड़ रुपये अनुमानित लागत रखी गई है। यह रणनीतिक तौर पर अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। क्योंकि इसके बनने से LAC के निकट तक फाइटर ऑपरेशन हो सकेंगे। इसके साथ ही यह लद्दाख में तीसरा फाइटर एयरबेस होगा। इससे पहले लेह और थोईस में एयरबेस हैं।
बता दें कि सीमा पर आधारभूत संरचना को लगातार सुदृढ़ कर रहे भारत ने 12 सितंबर को एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले के देवक पुल से 2,900 करोड़ रुपये से अधिक की बीआरओ की 90 परियोजनाओं का शुभारंभ किया है।
इन परियोजनाओं में से 11 जम्मू-कश्मीर में, 26 लद्दाख में, 36 अरुणाचल प्रदेश में, 5 मिजोरम में, 3 हिमाचल प्रदेश में, 2-2 सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में और 1-1 नागालैंड, राजस्थान में बनाई गई हैं। 2021 में भी, ₹2229 करोड़ की लागत से 102 बीआरओ आधारभूत संरचना की परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की गईं थीं।
India China Galwan Clash – हममें से अधिकांश भारतीयों को 2020 में चीन के साथ गलवान घाटी में हुआ गतिरोध स्मरण ही होगा। उस समय हमने चीन को पीटने में सफलता इसीलिए पाई क्योंकि यह न्योमा सैनिकों और रसद की आवाजाही के लिए बेहद महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ था। वर्तमान समय में यह एएलजी या उन्नत लैंडिंग ग्राउंड है और इसका रनवे मिट्टी से बना हुआ है, अर्थात यह कि इस पर केवल विशेष मालवाहक विमान या हेलिकॉप्टर ही उतारे जा सकते हैं। इसलिए अभी इस पर चिनूक हेलिकॉप्टर और सी-130 जे विमान उतारे जा रहे हैं।
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218 करोड़ रुपए की लागत वाला नया रनवे जब बनकर तैयार हो जाएगा, तो बड़े-बड़े परिवहन और मालवाहक विमान भी न्योमा से ही संचालित हो सकेंगे। इससे भारतीय सेना को बड़ा रणनीतिक लाभ होगा और उनका मनोबल भी बढ़ेगा। इस वर्ष के अंत तक ही इसके तैयार हो जाने की आशा है। 13 हजार फुट की ऊंचाई वाला न्योमा बेल्ट 1962 में चीन के साथ युद्ध के पश्चात से बंद था, परंतु 2010 में यह पुनः आरंभ हुआ था जब देश में अटल जी की सरकार थी।
भारत को पता है कि चीन अपनी कारस्तानी से बाज नहीं आएगा और न्योमा किसी भी गतिरोध की स्थिति में महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है, इसलिए भारत तेजी से इसका विकास कर रहा है। इतनी ऊंचाई पर होने के कारण यहां से ही सीमा पार चीन क्या कर रहा है, उस पर भी नजर रखी जा सकती है। इससे लद्दाख में इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूती और नया आयाम मिलेगा। भारतीय एयरफोर्स की भी क्षमता बढ़ेगी।
बता दें कि हमारा देश लगातार अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास कर रहा है। ऐसे में यह दूर की कौड़ी नहीं लगती कि आनेवाले दो-तीन वर्षों में भारत यदि चीन को पछाड़ेगा नहीं, तो इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में उसके बराबर सीमाई क्षेत्रों में तो आ ही जाएगा। चीन की हरकतों को देखते हुए विशेष तौर से उससे लगी हुई सीमा में, सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत इंफ्रास्ट्रक्चर दिन दूनी, रात चौगुनी गति से बढ़ा और विकसित कर रहा है।
न्योमा एयरबेस चीन की नजरों से दूर, परंतु विश्व का सबसे ऊंचा हवाई क्षेत्र भी होगा। चीन से सटे होने की कारण से इस एयरबेस का रणनीतिक, सामरिक और राजनीतिक महत्व भी है।
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बता दें कि वर्तमान की केंद्र सरकार एलएसी अर्थात वास्तविक नियंत्रण रेखा के लगभग 3500 किलोमीटर के क्षेत्र को विकसित करने के लिए अत्यंत तीव्रता से कार्य कर रही है। पिछले दो-तीन वर्षों में ही लगभग 300 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिनकी लागत 11 हजार करोड़ रुपए की है।
इनके माध्यम से हम लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पहले हम एलएसी के इतने निकट नहीं थे, परंतु पिछले तीन वर्षों में हम अपनी गति बढ़ा रहे हैं। इससे हमें अधिकांश अग्रिम चौकियों के आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी मिलेगी और चीन हो या पाकिस्तान (Bharat (India) China Pakistan), उनके दुस्साहस को मुंहतोड़ जवाब भी हम दे सकेंगे।
यही नहीं, लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी और सुरक्षा के लिए न्योमा एयरफील्ड अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस नए एयरबेस से लद्दाख में निगरानी बढ़ाने के लिए लड़ाकू विमान, नए रडार और उन्नत ड्रोन संचालित हो सकेंगे। इस एयरबेस को तैयार करना, लगातार आक्रामक होते रहे चीन के खिलाफ आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने की योजना का हिस्सा है। हालांकि वर्ष 2020 के पश्चात उस जैसी कोई झड़प नहीं हुई है, परंतु तनाव बढ़ने के तीन वर्ष पश्चात से दोनों पक्षों की ओर से बड़ी संख्या में तैनाती का गई है।
इसके अतिरिक्त अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा चारदुआर तवांग रोड पर 500 मीटर लंबी नेचिफू सुरंग का निर्माण होगा। निर्माणाधीन सेला सुरंग के साथ यह सुरंग रणनीतिक तवांग क्षेत्र को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और क्षेत्र में तैनात सशस्त्र बलों और तवांग आने वाले पर्यटकों दोनों के लिए लाभकारी होगा।
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यही नहीं पश्चिम बंगाल में पुनर्निर्मित बागडोगरा और बैरकपुर एयरफील्ड का भी इसी के साथ ही उद्घाटन किया गया। इन हवाई क्षेत्रों का बीआरओ द्वारा ₹529 करोड़ की लागत से सफलतापूर्वक पुनर्निर्माण किया गया है। ये हवाई क्षेत्र न केवल उत्तरी सीमाओं पर भारतीय वायुसेना की रक्षात्मक और आक्रामक वास्तुकला में सुधार करेंगे अपितु क्षेत्र में वाणिज्यिक उड़ान संचालन की सुविधा भी प्रदान करेंगे।
BRO देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बीआरओ ने पिछले दो वर्षों में 5100 करोड़ रुपये की लागत से रिकॉर्ड 205 आधारभूत परियोजनाएं देश को सौंपी हैं।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई न्योमा एयरबेस परियोजना की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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