भारत के पहले बुलेट ट्रेन की बड़ी उपलब्धि – From BKC to Surat
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Mumbai Ahmedabad Bullet Train Update : मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना, भारत की पहली हाई-स्पीड रेल परियोजना है और इसका निर्माण तीव्र गति के साथ आगे बढ़ रहा है। और परियोजना में ट्रैक बिछाने और ट्रेनों को 320-350 किमी प्रति घंटे की गति से चलाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बीते दिनों उठाया गया। नैशनल हाई स्पीड रेल कॉरिडोर लिमिटेड (NHSRCL) ने सूरत में पहली ट्रैक स्लैब निर्माण फैक्ट्री स्थापित की, जिसकी उत्पादन क्षमता 120 स्लैब प्रतिदिन है। यह स्लैब ट्रैकों को मजबूती से पकड़ने के लिए आवश्यक है ताकि ट्रेनें इतनी उच्च गति से चल सकें।
तथा बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) और डहाणू के बीच अगले वर्ष एक और फैक्ट्री स्थापित की जाएगी, जहां इस परियोजना के लिए महाराष्ट्र में ट्रैक बिछाने हेतु स्लैब बनाए जाएंगे। रेलवे सूत्रों के अनुसार, दूसरी ट्रैक स्लैब फैक्ट्री के लिए फरवरी, 2025 तक टेंडर जारी किए जाएंगे।
बता दें कि बुलेट ट्रेन परियोजना की कुल लंबाई 508 किलोमीटर है और परियोजना की कुल लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये है। इस परियोजना पर पूरा काम जापानी तकनीक से किया जा रहा है।
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आपको बता दें कि मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का अबतक कितना काम हुआ:
• पियर फाउंडेशन: 356 किमी
• पियर वर्क: 345 किमी
• गर्डर कास्टिंग: 273 किमी
• वायाडक्ट निर्माण: 233 किमी
• शोर अवरोधक (Noise Barriers): 91 किमी, तथा
• महाराष्ट्र में बीकेसी से ठाणे तक 21 किमी की सुरंग निर्माण कार्य प्रगति पर है।
ट्रैक बेस के पश्चात अब परियोजना के स्टेशनों की बात करें तो आपको हम बता दें कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के अंतर्गत गुजरात और महाराष्ट्र में कुल 12 स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 8 स्टेशन गुजरात में स्थित हैं। गुजरात के साबरमती, अहमदाबाद, आणंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा और वापी स्टेशनों पर निर्माण कार्य उन्नत चरण में है। इन स्टेशनों के डिजाइन में स्थानीय संस्कृति और नगर की पहचान को दर्शाने का प्रयास किया गया है। साथ ही, आधुनिक जीवनशैली और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है। सबसे तेज गति से काम अहमदाबाद, सूरत, बड़ोदरा, भरूच और आनंद सहित बलसाड़ रूट के बीच देखा का सकता है।
स्टेशन निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी देने हेतु बता दें कि अब तक तक सभी स्टेशनों पर नींव का काम पूरा हो चुका है, और छत, प्लेटफॉर्म, और रेल लेवल के ढांचे का निर्माण तेजी से प्रगति पर है। आणंद स्टेशन को भारत की ‘दूध राजधानी’ की पहचान के अनुरूप डिज़ाइन किया गया है, जबकि अहमदाबाद स्टेशन की वास्तुकला नगर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है। सूरत स्टेशन के डिज़ाइन में हीरे के उद्योग की झलक दिखती है। यह परियोजना भारतीय रेलवे में आधुनिकता का प्रतीक बनकर उभरेगी और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था, पर्यटन, और परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी।
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मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत आणंद स्टेशन के साथ-साथ अन्य स्टेशनों पर भी कार्य तेजी से हो रहा है। यह परियोजना न केवल भारत के परिवहन क्षेत्र में एक नई क्रांति लाएगी अपितु उन नगरों की अर्थव्यवस्था और पर्यटन को भी बढ़ावा देगी, जहां ये स्टेशन बनाए जा रहे हैं। आणंद बुलेट ट्रेन स्टेशन के डिज़ाइन और निर्माण कार्य की यह प्रगति भारत की इंजीनियरिंग और नगरी विकास की क्षमता को दर्शाती है। यह स्टेशन भविष्य में आणंद और इसके आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए एक प्रमुख कनेक्टिविटी हब बनने जा रहा है।
बता दें कि सूरत के पास स्थापित फैक्ट्री शिंकानसेन तकनीक का उपयोग करके बैलास्ट-रहित ट्रैक स्लैब बनाएगी, जो गुजरात और दमन-दीव में 237 किमी लंबे हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर पर बिछाई जाएंगी। ये प्री-कास्ट सुदृढ़ कंक्रीट स्लैब 2200 मिमी चौड़ी, 4900 मिमी लंबी और 190 मिमी मोटी होंगी, जिनका वजन लगभग 3.9 टन होगा। ये स्लैब कंक्रीट और डामर के मिश्रण पर बिछाई जाएंगी, जिन पर 60-किलोग्राम वजनी रेल ट्रैक को बांधा जाएगा।
नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने देश के हाई-स्पीड रेल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक और ट्रैक स्लैब निर्माण कारखाना स्थापित करके एक और उपलब्धि प्राप्त की है। यह बुलेट ट्रेन की पटरियों की स्थिरता और प्रदर्शन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। पिछले हफ्ते रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने निर्माण सुविधा का दौरा किया और बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए चल रहे कार्यों की समीक्षा की।
इससे पहले, एनएचएसआरसीएल ने गुजरात में एमएएचएसआर कॉरिडोर के 116 किलोमीटर के लिए ट्रैक स्लैब निर्माण के लिए आनंद में एक और विनिर्माण सुविधा स्थापित की थी। दोनों कारखानों में 22,000 से अधिक स्लैब डाले गए हैं जो 110 ट्रैक किलोमीटर के बराबर हैं। 29 नवंबर तक, एनएचएसआरसीएल ने कुल 9775 स्लैब डाले। इन स्लैब को ट्रैक कंस्ट्रक्शन बेस पर ले जाया गया है। हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए चल रहे ट्रैक निर्माण के हिस्से के रूप में इन स्लैब को वायडक्ट पर बिछाया जाना है।
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इसके अतिरिक्त परियोजना में एक और बड़ी उपलब्धि की जानकारी दें तो आपको हम बता दें कि बुलेट ट्रेन अर्थात मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर पर बनने वाले बीकेसी बुलेट ट्रेन स्टेशन का पहला बेस स्लैब कास्ट किया गया है। यह कॉन्क्रीट स्लैब भूमि से 32 मीटर की गहराई पर तैयार किया गया है, जो 10 मंजिला इमारत के बराबर है। प्रोजेक्ट के इस एकमात्र अंडरग्राउंड स्टेशन (बीकेसी) का निर्माण नीचे से ऊपर की ओर की तकनीक से किया जा रहा है। इसके अंतर्गत खुदाई और कॉन्क्रीट का काम भूमि के सबसे निचले स्तर से आरंभ किया गया है।
इस बेस स्लैब की जानकारी देने हेतु बता दें कि इसकी गहराई 3.5 मीटर है, लंबाई 30 मीटर, और चौड़ाई 20 मीटर है। तथा इसके निर्माण में 681 मीट्रिक टन उच्च ग्रेड स्टील, 6200 रीबार कपलर, 2254 घन मीटर एम60 ग्रेड कॉन्क्रीट तथा 4283 मीट्रिक टन एग्रीगेट उपयोग किया गया है।
यही नहीं इसके लिए कॉन्क्रीट की आपूर्ति 120m³ क्षमता वाले दो इन-सीटू बैचिंग प्लांट्स से की जा रही है। ढलाई के समय तापमान को नियंत्रित रखने के लिए बर्फ और चिलर संयंत्रों का उपयोग किया गया, जिससे कॉन्क्रीट का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से नीचे बनाए रखा जा सके। ढलाई से पहले पर्याप्त वाटरप्रूफिंग उपाय भी सुनिश्चित किए गए हैं। तथा पहला बेस स्लैब पूरा होना इस परियोजना के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। जो कि प्राप्त हो चुका है।
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बीकेसी स्टेशन की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इसके प्लैटफॉर्म की गहराई 24 मीटर है। इसमें कुल तीन तल हैं, जिनमें प्लैटफॉर्म, कॉनकोर्स और सर्विस फ्लोर सम्मिलित है। इसमें कुल 6 प्लैटफॉर्म है जिनकी लंबाई 415 मीटर है। ये 16 कोच वाली बुलेट ट्रेन के लिए पर्याप्त है। इसका प्रवेश और निकास द्वार एक मेट्रो लाइन 2B के निकटवर्ती स्टेशन से जुड़ा होगा। दूसरा एमटीएनएल भवन की ओर होगा। स्टेशन को मेट्रो और सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा। यात्रियों की सुविधा के लिए पर्याप्त स्थान और प्रकाश के लिए प्राकृतिक रोशनदान का प्रावधान किया गया है।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में अपने गांव अथवा जिला का नाम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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