Exclusive: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी भव्य बन रहा है उज्जैन का महाकाल कॉरिडोर
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मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर को भव्यता और धार्मिक विस्तार देने के लिए बन रहा है महाकाल कॉरिडोर
शिप्रा नदी के उत्तरी छोर पर बसे उज्जैन जिसे महाकाल की नगरी व चक्रवर्ती राजा विक्रमादित्य की नगरी कहा जाता है। जहां पर तीन गणेश और दो शक्तिपीठ व भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है तथा जहाँ पर 12 वर्षों में एक बार होने वाला कुंभ स्नान भी सिंहस्थ बन जाता हो तथा जहाँ की काल गणना विश्व मानक हो, उसकी महत्ता को आप समझ ही सकते हैं। इतिहास के अनुसार सन् 1235 ई में
मुस्लिम आक्रांता इल्तुत्मिश के द्वारा माहाकालेश्वर के प्राचीन भव्य मंदिर का विध्वंस किए जाने के पश्चात मराठाओं तथा राजा भोज द्वारा इस मंदिर का पुनर्उद्धार व विस्तार किया गया था।
हिंदू धर्म के इस प्रमुख पवित्र उज्जैन में भगवान शिव के महाकालेश्वर धाम का वर्तमान समय में नवीनीकरण व विस्तार कार्य संचालित है। बता दें की प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी वर्ष 12 जनवरी को महाकालेश्वर मंदिर के विकास और विस्तार के लिये 500 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी थी। तथा लगभग 800 करोड़ की लागत से महाकाल मंदिर परिसर का क्षेत्रफल वर्तमान क्षेत्रफल से लगभग आठ गुना अधिक विस्तारित होगा। बता दें कि, वर्तमान समय में मंदिर परिसर 2.82 हेक्टेयर में विस्तारित है, जबकि परियोजना पूर्ण होने के पश्चात मंदिर का क्षेत्रफल 20.23 हेेक्टेयर हो जाएगा, यही नहीं यह मंदिर देश का सबसे आधुनिक मंदिर होगा।
बता दें की उज्जैन स्मार्ट सिटी के महाकाल-रुद्रसागर एकीकृत विकास परियोजना के अंतर्गत परिक्षेत्र का विकास 2 चरणों में किया जाना है।
महाकाल कॉरिडोर की व्यवस्था व सुविधाओं की जानकारी के लिए बता दें की महाकाल के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 1700 वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था बनाई जा रही है। इसमें 450 की पार्किंग की व्यवस्था त्रिवेणी संग्रहालय के पास, 250 वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था महाकाल मंदिर के पास बेगम बाग के इलाके में और सरफेस पार्किंग 1000 वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था हरी फाटक पर मन्नत गार्डन होगी।
महाकाल मंदिर को सोलर पैनल से लेस किया जा रहा है। यहां सप्लाई सोलर पैनल से होगी, इससे मंदिर समिति को बिजली बिल के बोझ से मुक्ति मिल जाएगी। संग्रहालय के पास महाकाल पथ का निर्माण चल रहा है। इसमें स्तंभ पर 108 मुद्राएं शिव की बनाई जा रही है। इसके दोनों ओर पेड़ लगाए जाएंगे। यहां यात्रियों के बैठने के लिए चेयर भी लगाई जाएगी। यहां लेजर और लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाएगा।
रुद्रसागर महाकाल की सबसे बड़ी कड़ी है। इसमें मिलने वाले छह नालों की पहचान कर ली गई है। अब प्रयास किया जा रहा है कि इन घरों के सीवरेज का पानी नालों में न जाए। रुद्रसागर में पानी कम होने पर नरसिंह घाट से शिप्रा का पानी लिफ्ट करके लाया जाएगा।
महाराजवाड़ा स्कूल को हेरीटेज सेंटर बनाया जा रहा है। पुलिस क्वार्टर के स्थान पर पुलिस को मल्टी स्टोरी बनाकर दी जाएगी। बड़ा गणेश की गली को 15 मीटर चोड़ा किया जा रहा है। एक बड़ा प्रवचन हाल त्रिवेणी के पास बनाया जाएगा। इसमें 2000 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी।
तथा महाकाल मंदिर में विस्तारीकरण के चलते पुलिस दर्शनार्थियों की सुरक्षा के लिए त्रि स्तरीय सिस्टम तैयार कर रही है। इसमें यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखना, मंदिर क्षेत्र में आने वाले बदमाशों की पहचान के लिए फेस रिकोजिशन सिस्टम को लगाने और यात्रियों की सुरक्षा के लिए आधुनिक उपकरण का प्रयोग किया जाना सम्मिलित है।
यही नहीं सिंहस्थ, महाशिवरात्रि और सावन जैसे बड़े आयोजनों को देखते हुए इसे तैयार किया जा रहा है। इसमें छह हजार लोगों के जूते -चप्पल एक साथ रखे जाने के लिए स्टैंड बनाया जा रहा है। इस स्टैंड के सामने ही रुद्रसागर पर बने ब्रिज के लोग आकर रुकेंगे।
माहाकाल काॅरिडोर प्रोजेक्ट की अधिक जानकारी के लिए बता दें की यहाँ
-महाराजवाड़ा परिसर को कुंभ संग्रहालय के रूप में उपयोग किया जाएगा। यहां नक्षत्र वाटिका भी विकसित होगी।
-महाकाल मंदिर से महाकाल चौराहा तक 24 मीटर चौड़ा मार्ग विकसित किया जाएगा।
-बड़ा गणेश मंदिर से 24 खंबा माता मंदिर तक 12 मीटर चौड़ा मार्ग विकसित किया जाएगा।
दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान शिव से जुड़ी महिमा के दर्शन कराने के लिए कॉरिडोर में राजस्थान के पत्थरों से 108 पिल्लर और 200 प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं. नंदी गण, भैरव, गणेश भगवान, पार्वती माता सहित अन्य भगवानों की 45 करोड़ रुपये की लागत से 200 मूर्तियों को बनाने के लिए 20 से अधिक कलाकार कड़ी मेहनत से काम कर रहे हैं।
त्रिवेणी संग्रहालय के पास 12 मीटर ऊंचा भव्य प्रवेश द्वार बनाया जा रहा है। लाल पत्थर से निर्मित इस द्वार के स्तंभों पर भगवान शिव की नृत्य मुद्रा वाली मूर्तियां होंगी। द्वार पर नंदी रखे जाएंगे। द्वार के दोनों ओर यक्ष और यक्षिणी की मूर्ति होगी। द्वार के सामने श्रीगणेश तालाब बनाया जाएगा। उसमें भगवान गणेश की 9 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की जाएगी।
यही नहीं मुख्य प्रवेश द्वार से महाकाल मंदिर तक 97 करोड़ रुपये की लागत से 920 मीटर लंबी हेरीटेज वॉल बनाई गई है। इस पर प्रत्येक 10 मीटर की दूरी पर मंदिर स्थापत्य कला आधारित स्तंभ बनाए जाएंगे। यह नो व्हीकल जोन होगा। इसमें श्रद्धालुओं को पैदल या ई-रिक्शा से आने-जाने की सुविधा मिलेगी।
त्रिवेणी संग्रहालय के पीछे 42 फीट ऊंचा शिव स्तंभ बनाया गया है। इस पर 12 फीट ऊंची पंचमुखी शिव मूर्ति स्थापित की जाएगी। इसके चहुंओर फाइबर से बनी सप्तऋषियों की विशाल मूर्तियां होंगी। पास ही कमल तालाब बनाया जा रहा है। इसके बीच में 10 फीट ऊंचे स्टैंड और 15 फीट ऊंचे पर्वत पर शिवजी की मूर्ति विराजित की जाएगी।
महाकाल थीम पार्क का निर्माण भी होना है। यह महाकाल मंदिर से भारत माता मंदिर के बीच बनाया जाएगा। इसमें भगवान शिव की 18 से 25 फीट ऊंची मूर्तियां स्थापित होंगी। 2 हजार श्रद्धालुओं के बैठने के लिए कुर्सियां लगाई जाएंगी। यहीं पूजन सामग्री की 54 दुकानें बनाई जाएंगी। यहीं फैसिलिटी सेंटर भी बनाया जाएगा। त्रिवेणी संग्रहालय के पास 27.19 करोड़ रुपये से शहर की दूसरी मल्टी लेवल कार पार्किंग बनाई जानी है।
जानकारी के लिए बता दें की वर्तमान समय में इस परियोजना के पहले चरण का कार्य आधा से अधिक हो चुका है जोकी सबसे महत्वपूर्ण है।
परियोजना के अंतर्गत इन सभी कार्यों को सिंहस्थ कुंभ 2028 तक पूर्ण करके महाकाल को नए रूप में विकसित किया जाना है।
बता दें की महाकाल मंदिर के सामने का नजारा अब बदला बदला नजर आ रहा है। कल तक जहां पैर रखने की स्थान नहीं मिलता था अब वहां खुला मैदान नजर आने लगा है।
वर्तमान समय में यह ध्वस्तीकरण का कार्य संचालित है तथा महाकाल विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत महाकाल मंदिर के आसपास सड़क चौड़ी करने का काम किया जा रहा है। 70 मीटर तक मार्ग चौड़ा किया जाएगा। इसके चलते प्रशासन ने ऐसे मकान व दुकान चिह्नित किए थे जो इस सीमा में आ रहे हैं। नवंबर माह में उनको तोड़ने की कार्रवाई आरंभ की गई है। महाकाल मंदिर के सामने स्थित 11 मकान तोड़े गए। लगभग 29 दुकानें भी तोड़ी गई हैं।
तथा कुछ दुकान संचालकों ने शुरुआत में विरोध जताया था परंतु बाद में वे सहमत हुए और दुकान खाली कर ली। जिन मकानों को तोड़ा गया है उनके मालिकों को नियमानुसार क्षतिपूर्ति भी दिया गया है।
अब इससे आने वाले दिनों में आवागमन सुगम हो जाएगा। मंदिर परिसर का भी कायाकल्प हो रहा है। महाकाल मंदिर से हरसिद्धि मंदिर तक के क्षेत्र में विस्तारीकरण किया जा रहा है। अब तक मंदिर के आसपास ही दुकानें लगती थीं। इस काऱण मार्ग संकरा हो गया था। आने जाने में कठिनाई होती थी। कई बार तो जाम की स्थिति बनती थी और पुलिस बल तैनात करना पड़ता था। जो अब नहीं होगा।
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बता दें की महाकालेश्वर मंदिर परिसर में उत्खनन स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत किया जा रहा है, जिसे उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा पिछले लगभग 1 वर्ष से किया जा रहा है। तथा इन कार्यों के लिए वर्तमान समय में कॉरिडोर परिसर में खुदाई चल रही है तथा महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के पास इसी समयावधि में बीते महीने एक विशाल शिवलिंग और भगवान विष्णु की प्रतिमा भी मिली। इसके अतिरिक्त मंदिर के दक्षिणी भाग में भूमि से लगभग 4 मीटर नीचे एक प्राचीन दीवार भी मिली है, जो लगभग 2,100 वर्ष पुरानी मानी जा रही है। हालाँकि, पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा इस शिवलिंग की जाँच की जा रही है, जिसके पश्चात यहाँ स्थित प्राचीन मंदिर के बारे में रहस्य सुलझाया जा सकेगा।
अधिक जानकारी के लिए बता दें की यह शिवलिंग लगभग 5 फुट का है। यह जितना भूमि के ऊपर है उतना ही भूमि के भीतर भी है। यह 9वीं-10वीं शताब्दी का यह जलाधारी शिवलिंग परमारकालीन है। इसके अतिरिक्त शिवलिंग के आसपास जो ईंटें दिखाई दे रही हैं, वे गुप्तकालीन अर्थात 5वीं शताब्दी की बताई जा रही हैं। इसके साथ ही यहाँ पर 10वीं शताब्दी की एक चतुर्भुजी भगवान विष्णु की प्रतिमा भी मिली है, जो स्थानक मुद्रा में है।
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यही नहीं महाकाल मंदिर के विस्तारीकरण के कार्य के समयावधि में मंदिर के उत्तरी भाग में 11वीं-12वीं शताब्दी का मंदिर भूमि के नीचे दबा हुआ है, जिसमें स्तम्भ खंड, शिखर के भांग, रथ का भांग, भरवाई की चक ये सब सम्मिलित हैं। मंदिर की वास्तुकला और कलाकारी काफी सुंदर बताई जा रही है। हालाँकि, मंदिर के भूमिगत होने के विषय में फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है। आपको बता दें की कुछ दिनों पहले यहाँ मानव कंकाल भी मिले थे। विस्तारीकरण कार्य में चल रही खुदाई के समयावधि में यहाँ मंदिर के अवशेषों के साथ मानव हड्डियाँ और जानवरों की हड्डियाँ भी मिली थीं। पुरातत्व विशेषज्ञों का मानना है कि जब मंदिरों पर आक्रमण किया जा रहा था, उसी समय के ये मानव कंकाल हो सकते हैं। इन कंकालों के अध्ययन से यह पता चल पाएगा कि ये कंकाल मुगलकालीन इस्लामिक आक्रमण के हैं या उनसे पहले आए अन्य मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण के समय के।
हालाँकि, अधिक संभावना मुगलकालीन की ही जताई जा रही है, जब मुगल कट्टरपंथियों ने आक्रमण करके न केवल मंदिरों में लूटपाट और उनका विध्वंस किया था, अपितु मंदिर के भक्तों और साधुओं का बड़े पैमाने पर नरसंहार भी किया था।
बता दें की मंदिर के पास नवनिर्माण के लिए हो रही खुदाई में इससे पहले भी दिसंबर, 2020 में यहां पर हवन कुंड, चूल्हा और कई अन्य वस्तुओं के साथ मंदिर की मूर्तियां, शिखर, दीवार व अन्य चीजें निकली थीं। तथा जून 2021 में परमारकालीन मंदिर के पाषाण खंभ, छत का भाग, शिखर, शुंग व कुषाण काल में निर्मित मिट्टी के बर्तनों के अवशेष भी मिल चुके हैं। तथा खोदोई में मिली इन सब धरोहरों को खुदाई स्थल के समीप सहेजकर रखा गया है। इन सब चीजों से स्पष्ट होता है कि शुंग काल में भी मंदिर की स्थापना रही है।
महत्वपूर्ण है कि धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित विश्व विख्यात महाकालेश्वर मंदिर को भव्यता और धार्मिक वातावरण देने तथा महाकाल के भव्य स्वरूप को पुनः प्रदान करने के उद्देश्य से यह विशेष कार्य हो रहा है। जो न केवल जनआस्था के प्रमुख केंद्र को उचित स्तर प्रदान करेगा अपितु दर्शनीयों को विशेष सुविधा के साथ भारतवर्ष के समृद्ध इतिहास व संसकृति को भी विश्वपटल पर भावपूर्वक रखेगा।
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