मुगलों की आंखों की किरकिरी था बाबा का धाम, एक हजार साल में तीन बार पूरी तरह तोड़ा गया
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया। ये कॉरिडोर वाराणसी के प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर को सीधा गंगा घाट से जोड़ता है। 800 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के जरिए 241 साल बाद ये आध्यात्मिक केंद्र एक नए अवतार में नजर आ रहा है।
पिछले करीब एक हजार साल में चार बार काशी विश्वनाथ मंदिर का नामो-निशान मिटाने की कोशिश की गई। आक्रांता तीन बार सफल भी हुए, लेकिन हर बार इसे फिर से बनाया और संवारा गया। 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने आखिरी बार इस मंदिर को तोड़ने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद करीब 111 साल तक वाराणसी में कोई काशी विश्वनाथ मंदिर ही नहीं था। 1780 में इंदौर की मराठा शासक अहिल्या बाई होलकर ने मौजूदा मंदिर को बनवाया।
आइए जानते हैं, पिछले एक हजार साल में काशी विश्वनाथ मंदिर के टूटने और बनने की कहानी…
1. काशी विश्वनाथ मंदिर को पहली बार कुतुब उद्दीन ऐबक ने 1194 ई. में ध्वस्त किया। वो मोहम्मद गोरी का कमांडर था। करीब 100 साल बाद एक गुजराती व्यापारी ने इस मंदिर का दोबारा निर्माण करवाया। ये पेटिंग कुतुब उद्दीन ऐबक की है
2. काशी विश्वनाथ मंदिर पर दूसरा हमला जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने 1447 ईसवी में करवाया था। मंदिर पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। 1585 ईसवी में अकबर के नौ रत्नों में से एक राजा टोडरमल ने मंदिर का पुनर्निमाण किया। ये पेटिंग राजा टोडरमल की है।
3. 1642 ई. में शाहजहां ने काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश पारित किया। हिंदुओं के भारी विरोध के बाद प्रमुख मंदिर को तो नहीं तोड़ा जा सका, लेकिन काशी के 63 छोटे-बड़े मंदिरों को तोड़ दिया गया। ये तस्वीर 19वीं सदी में काशी विश्वनाथ मंदिर की है।
4. 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने के आदेश जारी किया। ये आदेश कोलकाता की एशियाटिक लाइब्रेरी में आज भी रखा हुआ है। सितंबर 1669 में मंदिर तोड़ दिया गया और ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई गई। इसके करीब 111 साल बाद इंदौर की मराठा शासक अहिल्या बाई होलकर ने 1780 में मौजूदा काशी विश्वनाथ मंदिरा का निर्माण करवाया। ये तस्वीर 19वीं सदी में काशी विश्वनाथ मंदिर की है।
काशी विद्वत परिषद के सचिव राम नारायण द्विवेदी के मुताबिक, ‘इस इतिहास के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि राजा रणजीत सिंह और औसनगंज के राजा त्रिविक्रम नारायण सिंह जैसे कई राजाओं ने मंदिर के लिए दान दिया था। रणजीत सिंह ने सोना और राजा त्रिविक्रम नारायण सिंह ने मंदिर के गर्भगृह के लिए चांदी के दरवाजे दान में दिए थे।’
5 लाख वर्ग फीट में फैला नया कॉरिडोर
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का क्षेत्रफल पहले 3,000 वर्ग फीट था। लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत से मंदिर के आसपास की 300 से ज्यादा बिल्डिंग को खरीदा गया। इसके बाद 5 लाख वर्ग फीट से ज्यादा जमीन में लगभग 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से निर्माण किया गया।
निर्माण कार्य अभी जारी है। इसमें प्रमुख रूप से गंगा व्यू गैलरी, मणिकर्णिका, जलासेन और ललिता घाट से धाम आने के लिए प्रवेश द्वार और रास्ता बनाने का काम है। गौरतलब है कि धाम के लिए खरीदे गए भवनों को नष्ट करने के दौरान 40 से अधिक मंदिर मिले। उन्हें विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के तहत नए सिरे से संरक्षित किया गया है।
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