अब बदलेगा अयोध्या श्रीराम मंदिर में पूजन सिद्धांत
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Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में बन रहा भगवान श्रीराम का मंदिर अत्यंत भव्य और दिव्य होगा। मंदिर का निर्माण इस प्रकार से किया जा रहा है जिससे यह सैकड़ों वर्षों तक सुरक्षित रहे और इसकी भव्यता अद्वितीय हो। मंदिर में रामलला के गर्भगृह के मुख्य द्वार पर स्वर्ण व रजत का कार्य कराने की योजना बनाई जा रही है। वहीं, राममंदिर के भूतल का समस्त कार्य 15 दिसंबर तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। मंदिर के गर्भगृह व परिक्रमा पथ पर फर्श बिछाने का काम पूरा किया जा चुका है।
Ayodhya Ram Mandir : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार मंदिर का गर्भगृह मकराना के संगमरमर से सज गया है। भूतल पर फर्श बिछाने का काम चल रहा है। इसके साथ अंडर ग्रांउड बिजली के तार भी लगाए जा रहे हैं। यात्री सुविधा केंद्र का काम भी तेजी से चल रहा है, भूतल की फिनिशिंग का कार्य संचालित है।
मंदिर निर्माण की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि राम मंदिर के गर्भगृह का कार्य अंतिम चरण में है। प्रथम तल में स्तंभों का कार्य लगभग 55 प्रतिशत पूरा हो गया है। नवंबर तक भूतल पूरी तरह बनकर सज्ज हो जाएगा। भूतल में संगमरमर का फर्श भी बनकर तैयार है। दिसंबर तक प्रथम तल भी पूरा करने की तैयारी है। और जनवरी में रामलला गर्भगृह में विराजमान होंगे।
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बता दें कि श्रीराम मंदिर निर्माण समिति ने मंदिर व मंदिर से जुड़े कार्यों की समय सीमा निर्धारित कर दी है। मंदिर निर्माण में श्रमिकों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। वर्तमान समय में तीन हजार श्रमिक दिन-रात राममंदिर को आकार देने में जुटे हैं। इस समय 3 हजार कारीगरों में 250 केवल भूतल पर कार्य कर रहे हैं। 10 जनवरी तक सभी कार्यों को पूरा करने की योजना है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले राममंदिर का भूतल पूरी तरह से बनकर सज्ज हो जाए, इस पर पूरा जोर है। वहीं यात्री सुविधाएं विकसित करने को लेकर भी प्रशासन अब कठोर हो गया है। मंदिर के साथ यात्री सुविधा केंद्र, पार्किंग, श्रीराम जन्मभूमि पथ, ओवरब्रिज आदि सुविधाओं को भी इन दिसंबर तक पूरा करने की तैयारी है। इसके लिए हर 15 दिन पर बैठकें होंगी। मंदिर निर्माण समिति व ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ जिला प्रशासन के अधिकारी सामंजस्य बनाकर योजनाओं की समीक्षा व मानीटरिंग करेंगे।
मंदिर निर्माण की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि में राम मंदिर के सिंह द्वार बनकर तैयार हो गया है। राजस्थान के सैंड पिंक स्टोन से बनाए गए इस द्वार में नागर शैली की कलाकृति है। फूल-पत्ती को उकेरा गया है। वहीं, द्वार के दोनों ओर देवी-देवताओं की मूर्तियां अभी उकेरी जानी हैं। सिंह द्वार राम मंदिर का मुख्य द्वार है। इस द्वार को बनाने में लगभग 3 माह का समय लगा है। इस द्वार की ऊंचाई 14 फीट और चौड़ाई 10 फीट के लगभग है।
बता दें कि मंदिर के मुख्य द्वार पर तीन प्लेटफॉर्म तैयार किए गए है। पहले प्लेटफॉर्म अर्थात सिंह द्वार (शेर), दूसरा गज द्वार (हाथी) और तीसरा अर्थात भगवान हनुमान और गरुण द्वार होगा। इन तीनों पर श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत होगा। श्रद्धालुओं के लिए पांच मंडप भी तैयार हो रहे हैं। इससे गुजरते हुए श्रद्धालु मंदिर में रामलला के दर्शन कर दूसरी ओर से बाहर निकल आएंगे। इन मंडपों को पूरा करने का लक्ष्य 31 दिसंबर 2023 रखा गया है।
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बता दें कि कि मंदिर में 350 पिलर बनाए जाएंगे। इसमें से 170 ग्राउंड फ्लोर पर होंगे। हर पिलर पर 25 से 30 चित्र बनाए जा रहे हैं। इसके माध्यम से राम कथा का चित्रण किया जाएगा। राम मंदिर को नागर शैली और अवध शैली के मंदिर का स्वरूप दिया जा रहा है। यहां पर 5 हजार वर्ष पुराने इतिहास को दर्शाया जाएगा।
आपके मन में यदि मंदिर निर्माण के लागत से जुड़ा प्रश्न उठ रहा है तो हम आपको बता दें कि मंदिर निर्माण पर अब तक 900 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं और ऐसा अनुमान है कि पूरे मंदिर और परिसर के निर्माण में लगभग 1,700 से 1,800 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। तथा मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट में लगभग 3500 करोड़ रुपये दान में आए हैं।
दूसरी ओर भगवान की प्रतिमा की जानकारी देने हेतु बता दें कि मंदिर के गर्भ गृह में दो मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। जिसमें एक अचल होगी जो खड़ी मूर्ति होगी, जिसे वास्तुकार अपनी कल्पना के अनुसार बना रहे हैं। तीन वास्तुकार अलग-अलग इसे बना रहे हैं। भगवान चार से पांच वर्ष की आयु के होंगे। भगवान की मूर्ति की लंबाई 51 इंच होगी। यह बाल स्वरूप होगा भगवान का। इसी के समक्ष जो वर्तमान रामलला हैं जो कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय में पक्षकार थे, वह रामलला भी वहां पर स्थापित होंगे।
प्रतिमा इस प्रकार से होगी की कि रामनवमी के दिन 12 बजे भगवान के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ें। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की और पुणे के एक एस्ट्रोनॉमिकल संस्थान ने मिलकर कम्प्यूटरीकृत कार्यक्रम बनाया है। इसमें एक छोटा सा उपकरण है जो कि मंदिर के शिखर में लगाया जाएगा। किरणें इस माध्यम से आएंगी और फिर परावर्तित होकर भगवान के ललाट पर पहुंचेंगी। यह उपकरण बेंगलुरु में बन रहा है।
अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) के पहले चरण का कार्य दिसंबर के अंत तक पूरा हो जाएगा। यहां भगवान राम की मूर्ति स्थापना और प्रार्थना समारोह 14 जनवरी 2024 से आरंभ होगा। श्रीराम की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी और 20 से 24 जनवरी के मध्य किसी भी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इससे जुड़े समारोह में सम्मिलित होंगे।
प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की जानकारी देते हुए बता दें कि ट्रस्ट की एक उपसमिति इसकी सूची बना रही है। जितने साधु-संत समाज व अलग-अलग पंथ के लोग हैं और जो राम मंदिर निर्माण के आंदोलन से जुड़े थे उन्हें बुलाने का ट्रस्ट की ओर से पूरी तरह से प्रयास किया जा रहा है। अनुमान है कि यह संख्या 2,000 तक पहुंच सकती है। इसके अतिरिक्त देश-विदेश और मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के जाने माने लोगों को अति विशिष्ट श्रेणी में आमंत्रित करने की तैयारी है। और यह संख्या लगभग 7,500 हो सकती है। प्रथम दृष्टया लगभग 10,000 लोगों को आमंत्रित करने की योजना है।
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ट्रस्ट का प्रयास है कि कुछ स्थानों पर खाने की व्यवस्था हो। यह भी संभव है 25,000 से 50,000 लोगों के लिए बिना किसी भुगतान के खाने की व्यवस्था की जाए। दर्शन की बात करें तो एक व्यक्ति को दर्शन करने के लिए लगभग 15 से 20 सेकेंड का समय मिल पाएगा। राम मंदिर अगर 12 घंटे खुला रहेगा तो लगभग 1,25,000 श्रद्धालु लगभग 25 सेकेंड दर्शन कर पाएंगे।
यही नहीं प्राण-प्रतिष्ठा के बाद प्रभु राम के पूजन के लिए आचार संहिता तैयार की जा रही है। इसके आधार पर ही पुजारियों का चयन, ट्रेनिंग, ड्रेस कोड, रामलला के पूजन की विधि और नियमित सेवा की पद्धति तैयार की जा रही है। संहिता के अनुसार, रामलला के पुजारी वही होंगे, जिनका जन्म अयोध्या में हुआ हो। आचार संहिता तैयार करने का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। राम मंदिर ट्रस्ट की मुहर लगनी शेष है।
पुजारी को आवश्यकता पड़ने पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। अभी तक रामलला की पूजा पहले से चली आ रही परंपरा के अनुसार होती थी। अब भव्य राम मंदिर के निर्माण और राम मंदिर ट्रस्ट के गठन के पश्चात यह सब नए सिरे से तय किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त बता दें कि मंदिर में होने वाली पहली आरती और महायज्ञ में जो घी का प्रयोग होगा, वो जोधपुर से भेजा जाएगा। इसी घी से मंदिर की अखंड ज्योत को भी प्रज्जवलित किया जाएगा।
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इसके लिए 6 क्विंटल अर्थात 600 किलो घी अयोध्या भेजा जाएगा। विशेष बात ये है कि घी ट्रेन, बस या कार में नहीं अपितु 108 रथ में भेजा जाएगा। ये रथ 27 नवंबर को घी लेकर जोधपुर से अयोध्या के लिए प्रस्थान करेंगे।
एक और जानकारी हेतु बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि पर खुदाई में मिले प्राचीन मंदिर के अवशेषों की तस्वीरें सामने आई हैं। इसमें कई मूर्तियां और पिलर दिख रहे हैं। ये 21 वर्ष पहले अर्थात 2002 में ASI टीम को खुदाई के समयावधि में मिले थे। इन अवशेषों की संख्या लगभग 50 है। इन कलाकृतियों को मंदिर में नहीं अपितु संग्रहालय में प्रदर्शित की जाएंगी।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई श्री राम मंदिर निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री राम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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