सम्पूर्ण विश्व को जगायेगा अयोध्या का रामलला मंदिर
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Ramlala Mandir Ayodhya : जनवरी 2024 में अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस बीच समाचार आया है कि मंदिर के गर्भगृह में भोलेनाथ के ओंकारेश्वरी विशिष्ट नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना भी की जाएगी।
Ayodhya Shri Ram Janmbhumi Mandir : अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की नई तस्वीरें सामने आई हैं। भूतल के पश्चात मंदिर के प्रथम तल ने भी आकार लेना आरंभ कर दिया है। प्रथम तल पर खंभे भी खड़े हो चुके हैं। प्रथम तल पर खड़े हुए खंभों की ऊंचाई लगभग 10 फीट है। माना जा रहा है कि जनवरी 2024 में जब रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की मंदिर के भूतल में स्थित गर्भ गृह में होगी तो उस समय तक प्रथम तल की छत भी पड़ चुकी होगी और वहां की साज-सज्जा पर कार्य संचालित रहेगा।
सफेद मार्बल से बने गर्भ गृह की दीवारों और छत पर खूबसूरत और बारीक नक्काशी दिखाई दे रही है। यह वही स्थान है जिसके बारे में कहा जाता कि इसी स्थान पर 1949 में रामलला प्रकट हुए थे। इसीलिए रामलला के अस्थाई मंदिर में जिस प्रकार से पूजा-अर्चना होती है वैसे ही यहां पर मूर्ति स्थापित होने के पश्चात भी लगातार होती चली आ रही है।
बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूतल 170 खंभों पर खड़ा है, जिसमें देवी-देवताओं की खूबसूरत नक्काशी की जा रही है। यह नक्काशी का काम काफी बारीक है इसलिए इसे पहले से इन खंभों पर नहीं किया जा सकता था। इसके अतिरिक्त मंदिर की दीवारों और छतों पर भी खूबसूरत नक्काशी की गई है।
5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहीं पर मंदिर का भूमि पूजन किया था। इसी गर्भगृह के नक्काशी युक्त छत के नीचे भव्य सिंहासन पर रामलला विराजमान होंगे। मंदिर का गर्भ गृह सफेद संगमरमर के 6 खभों पर टिका है, जबकि बाहरी खंभे पिंक सैंड स्टोन के हैं। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में उनके जन्मोत्सव के समय यहीं पर दोपहर 12 बजे सूर्य की किरण कुछ देर के लिए रामलला के ललाट पर भी पड़ेंगी।
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बता दें कि अयोध्या के भव्य राम मंदिर का परिसर लगभग 70 एकड़ में विस्तारित है। जिसमें 8 एकड़ में केवल राम मंदिर बन रहा है शेष परिसर में यात्री सुविधा केंद्र के अतिरिक्त विभिन्न मंदिर बनाए जाएंगे।
बता दें कि रामलला मंदिर परिसर में राम मंदिर के विग्रह के चारों ओर बन रहे 14 फीट चौड़े परकोटे के 6 मंदिरों में से एक मंदिर में मध्य प्रदेश के ओमकारेश्वर क्षेत्र के 4 फीट ऊंचे प्राकृतिक शिवलिंग को स्थापित किया जाएगा।
ये दिव्य शिवलिंग 600 किलो वजनी है और 4 फीट ऊंचा है। ये शिवलिंग प्राकृतिक है और ये ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जो कि 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है, वहां से लाया गया है। ये अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में स्थापित होगा।
मान्यता है कि मां नर्मदा का हर कंकड़ शंकर है। इसलिए ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र पर शिवलिंग मिलने पर उसे अंतिम रूप दिया गया। अब ये शिवलिंग अयोध्या में स्थापित होगा। संपूर्ण मार्ग में लोग इस शिवलिंग का स्वागत कर रहे हैं। और अपने-अपने तरीकों से इसकी पूजा अर्चना कर रहे हैं। लोगों की भारी भीड़ शिवलिंग के दर्शन करने के लिए आ रही है।
बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए अगले वर्ष 21, 22 और 23 जनवरी की तारीख तय की है।
कार्यक्रम में आमंत्रित किए जाने वाले संतों की सूची तैयार की जा रही है। शीघ्र ही उन्हें ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की ओर से निमंत्रण पत्र भेजा जाएगा। ये 25 हजार संत 10 हजार विशिष्ट अतिथियों से भिन्न होंगे जो राम जन्मभूमि परिसर के अंदर अभिषेक समारोह में सम्मिलित होंगे।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम हो, उज्जैन का महाकाल मंदिर हो या केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, आस्था और विरासत का सम्मान तो हो ही रहा है, सनातन धर्म के गौरव को पुनर्प्रतिष्ठापित करने का महाअभियान भी इसके माध्यम से तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। इसी कड़ी में योगी सरकार देशभर के मंदिरों की गौरवगाथा को प्रदर्शित करने वाला विशाल संग्रहालय बनाने जा रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर यूपी पर्यटन विभाग इसे लेकर विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने में जुट गया है। इस मंदिर संग्रहालय का निर्माण प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में किया जाना है।
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भारत के कोने कोने में फैले असंख्य मंदिरों के माध्यम से सनातन धर्म और इसकी विविधता को सदियों से अभिव्यक्ति मिलती रही है। उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक वास्तुकला की दृष्टि से भारतीय मंदिर बेजोड़ माने जाते हैं। विश्व भर के विशेषज्ञों ने भारतीय मंदिरों पर अनेक परीक्षण किए और इस विषय पर अध्ययन करते हुए कई शोध साहित्य भी प्रकाशित किये गये हैं। अपने स्थापत्य की भव्यता से परे, भारतीय मंदिर संस्कृति की अभिव्यक्तियां भी हैं। भारतीय संस्कृति की आत्मा का प्रत्येक घटक देश के मंदिरों में मिलता है। भारतीय मंदिरों की इन बहुआयामी सोच को अब योगी सरकार मंदिर संग्रहालय के माध्यम से विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने जा रही है।
अयोध्या में 5 एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित मंदिर संग्रहालय को लेकर योगी सरकार की ओर से कदम आगे बढ़ा दिया गया है। भारतीय मंदिरों और शानदार मंदिर वास्तुकला के इस विशिष्ट संग्रहालय का निर्माण करने के पीछे यूपी पर्यटन विभाग का लक्ष्य है कि सनातन संस्कृति को समग्र रूप से परिलक्षित करने वाले मंदिर परिसरों के महत्व से विश्व को परिचित कराया जाए। किसी मंदिर को किसी विशेष स्थान पर क्यों निर्मित किया गया और उनके निर्माण के पीछे के दर्शन के बारे में विशेषतः युवा पीढ़ी को अवगत कराने के उद्देश्य से ही अयोध्या में मंदिर संग्रहालय का निर्माण प्रस्तावित है। इसमें प्राचीन भारत की तकनीकी प्रगति, भारतीय मंदिरों को उनकी पूजा-पद्धति से जोड़ते हुए उनके महत्व को सामने लाना, शैक्षणिक संस्थान, जिसमें मठ और पीठम सम्मिलित हैं, इसके अतिरिक्त विभिन्न शैलियों में निर्मित मंदिरों के उत्कृष्ट उदाहरणों को प्रदर्शित करना और भारतीय मंदिरों की स्थापत्य विरासत के बारे में विश्व को बताना सम्मिलित है।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस प्रस्तावित संग्रहालय को 12 दीर्घाओं में विभाजित किया जाएगा। ये दीर्घाएं अपनी सहज कलात्मकता से आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देंगी। इसके अतिरिक्त ये दीर्घाएं मंदिरों के वैज्ञानिक और दार्शनिक पहलू के साथ ही, गर्व और श्रद्धा की भावना भी जगाएंगी। मंदिर संग्रहालय में 12 दीर्घाओं के अतिरिक्त सुंदर बाग और कुंड, कैफेटेरिया और बेसमेंट पार्किंग की भी सुविधा रहेगी।
यही नहीं राम मंदिर ट्र्स्ट के चंपत राय के अनुसार मंदिर निर्माण के पश्चात भक्तों की संभावित संख्या को देखते हुए मंदिर और आसपास यात्री सुविधाओं का निर्माण आरंभ कर दिया है। इसमें होटल, रेस्त्रां, डॉरमेट्री और धर्मशाला बनाई जाएगी।
25 हजार यात्रियों के ठहरने और सुविधाओं से जुड़े केंद्र का निर्माण चल रहा है। रामलला तक पहुंचने के लिए 700 मीटर लंबा मार्ग है। इस मार्ग पर फिनिशिंग चल रहा है।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई श्री राम मंदिर निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री राम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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