अयोध्या का अद्भुत अनदेखा मंदिर जो राम मंदिर से पहले होगा उद्घाटित
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रामजन्मभूमि पर जहां उत्तर भारत की पहचान श्री राम मंदिर का भव्य निर्माण कला नागर शैली में हो रहा है वहीं रामजन्मभूमि के कुछ ही दूरी पर दक्षिण भारत की प्रतिनिधि करने वाला मंदिर निर्माण कला द्रविड़ शैली में मंदिर निर्माण अंतिम स्पर्श पा रहा है। राम मंदिर के साथ उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत का सांस्कृतिक जुड़ाव परिपुष्ट हो रहा है।
मित्रों आपको यह तो पता होगा की अयोध्याजी की पावन धरा पर भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है जिसकी जानकारी हम आपको समय समय देते रहते हैं परंतु राम जन्मभूमि पर ही एक और अद्भुत मंदिर का निर्माण भी हो रहा है जिसके बारे में अब तक कोई नहीं बताया इसलिए आज हम इस अद्भुत दक्षिण शैली में निर्माणाधीन श्री रामलला सदन देवस्थानम मंदिर की संपूर्ण जानकारी व ग्राउंड रिपोर्ट लेकर के आए हैं।
बता दें की इस मंदिर का नाम श्रीरामलला देवस्थानम है और इसका निर्माण प्रख्यात कथाव्यास एवं रामानुजीय परंपरा के शीर्ष आचार्य जगद्गुरु डॉ. राघवाचार्य करा रहे हैं। उन्होंने तीन वर्ष पूर्व लगभग एक एकड़ परिसर में रामलला देवस्थानम का शिलान्यास रामलला की विशेष प्रार्थना के साथ किया कि देवस्थानम का निर्माण पूर्ण होते-होते रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा और आज न केवल देवस्थानम का निर्माण पूर्ण होने को है, अपितु डा. राघवाचार्य की विशेष प्रार्थना भी फलीभूत हो उठी है।
मंदिर के संकलना की जानकारी के लिए बता दें की वर्ष 2009 में स्वामीजी ने दक्षिण भारत की यात्रा की। वहां के मंदिरों में की जानेवाली पूजा विधि को देखकर उन्होंने संकल्प लिया कि इसी प्रकार की नारदपांचरात्रआगम विधि से वैदिक पूजा एवं उत्सव विधान श्रीरामललासदन में हो। दक्षिण के मंदिरों के सदृश्य एक अद्भुत देवस्थान अयोध्या में भी हो, जोकि गोपुर, शिखर तथा मंडप से सुशोभित हो। 15000 SF में नवीन मंदिर के निर्माण कार्य संचालित है। मंदिर का जीर्णोद्धार आगामी एक वर्ष में करने का नियोजन है। अधिक जानकारी के लिए बता दें की मंदिर का उद्घाटन आगामी राम नवमी के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कर कमलों से रामलला देवस्थानम का उद्घाटन कराने का प्रयास है।
जानकारी के लिए बता दें की द्रविड़ परंपरा में मंदिर को दिव्य देश कहा जाता है और स्थापत्य की शास्त्रीयता के अनुरूप दिव्य देश में गर्भगृह, अर्द्ध मंडप, पूर्ण मंडप, गोपुरम, राज गोपुरम, गरुड़ स्तंभ एवं बलि पीठ के रूप में मुख्यतया सात प्रखंड होते हैं और रामलला देवस्थानम का यह मंदिर इन सभी प्रखंडों से संयोजित है। राज गोपुरम अर्थात मंदिर का सिंहद्वार भव्यता और कला का शानदार उदाहरण है। राज गोपुरम पांच तल का है। प्रत्येक तल जय-विजय की प्रतिमा से सज्जित है और संपूर्ण राज गोपुरम अनेक शिखरों-श्रेणियों के साथ भगवान के सभी 24 अवतारों तथा अनेकानेक वैैदिक एवं रामायणकालीन देव प्रतिमाओं से सूसज्जित हैं। हालांकि अकेले 55 फीट ऊंचा पूर्वाभिमुख राज गोपुरम ही नहीं शेष गोपुरम व मंदिर का गर्भगृह आदि भी बन चुका है। देवस्थानम मंदिर को अंतिम स्पर्श दिए जाने के साथ ही आस्था विसर्जित होने लगी है। दिव्य देश के समानांतर समुचित सुविधा युक्त स्वतंत्र आवासीय प्रखंड भी है, जिसमें अर्चकों एवं उनके सहयोगियों सहित बाहर से आने वाले श्रद्धालु आश्रय भी पा सकेंगे। इस भवन की अधिक जानकारी के लिए का हम आपको दोनों तलों व सभी कमरों की वास्तविक दृश्य दिखा रहे हैं तथा यहाँ पर हो रहे निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति का अवलोकन भी करवा रहे हैं जिससे की आप देख सकते हैं कि यहाँ पर कई श्रमिक तीव्रता के साथ काम कर रहे हैं। कुछ श्रमिक Iron Cutting का काम कर रहे हैं तो वहीं दूसरे स्थान पर कुछ श्रमिक निर्माण कार्य में संलग्न हैं।
बता दें की इस भवन के तल प्रकोष्ठ में पाठशाला, भोजनशाला, विद्यार्थियों के लिये पांच कक्ष हैं। एक कक्ष विशिष्ट अतिथियों के लिये होगा। पहली मंजिल पर पुरुषों एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग समूह कक्ष होंगे। यहाँ पर कुल सात अतिथि कक्षों का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त एक पारिवारिक कक्ष होगा तथा एक कक्ष विशिष्ट अतिथियों के लिए रहेगा। अतिथीगृह सभी आधुनिक सुविधाओं से सज्ज होगा। यहाँ पर लिफ्ट की सुविधा भी रहेगी जिसके लिए स्थान सुरक्षित रखा गया है।
अब इसके पश्चात आपको हम मुख्य मंदिर के ऊपरी भाग में हो रहे फिनिशिंग कार्य को दिखाते हुए बता दें की यह सभी कार्य दक्षिण भारत की वास्तुकला जिसे की द्रविड़ शैली भी कहते हैं। तथा वर्तमान समय में बहुत ही बारीकी से रंग रोगन व पेंट आदि पर कार्य संचालित है।
वहीं यदि इस अद्भुत मंदिर के निर्माण की लागत की जानकारी दें तो बता दें की प्राप्त जानकारी अनुसार इसके निर्माण में लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत है एवं आप यदि मंदिर के निर्माण अथवा ट्रस्ट द्वारा संचालित किसी भी कार्य के लिए अपना योगदान करना चाहें तो आप ट्रस्ट के वेबसाइट के माध्यम से कर सकते हैं जिसका लिंक वीडियो के डिस्कक्रिप्शन में उपलब्ध है।
कहते हैं कि उत्तर एवं दक्षिण का सांस्कृतिक संबंध आत्मा और परमात्मा की तरह अविच्छिन्न है। उत्तर में भगवान का जन्म हुआ और दक्षिण में भक्ति का। भक्ति भगवान बिना नहीं रह सकती और भगवान भक्ति के बिना नहीं रह सकते।
अब यदि हम आपको इस मंदिर से जुड़ी मान्यता की जानकारी दें तो बता दें की पारंपरिक मान्यता के अनुसार जिस स्थल पर रामलला देवस्थानम मंदिर का निर्माण हो रहा है, वहाँ पर गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम सहित चारो भाइयों का नामकरण संस्कार किया था। इस कारण से यह स्थान महत्वपूर्ण है।
अधिक जानकारी के लिए बता दें की श्रीविग्रह की प्राणप्रतिष्ठानंतर मंदिर में दाक्षिणात्य पद्धति से सभी उत्सव मनाये जायेंगे, जिसमें भगवान की रथयात्रा, पालकी व ब्रह्मोत्सव आदि सम्मिलित हैं। वसंतमंडपम् में प्रमुख उत्सवों के समय भगवान की उत्सवमूर्ति विराजित होगी। यज्ञशाला में विधिवत यज्ञादि होंगे। उत्सव के समय दक्षिण भारतीय वादकों के लिए भी स्वतंत्र मंडपम् नियोजित है।
मंदिर का निर्माता की जानकारी के लिए बता दें की यह विशेष कार्य श्री रामलला देवस्थानम ट्रस्ट, अयोध्या के द्वारा संचालित है तथा इनके द्वारा अयोध्या स्थित कई और मंदिर और मठ कार्यरत है। इनका प्रमुख उद्देश्य है प्राचीन और सांस्कृतिक सनातन धर्म से समाज को परिचित करवाना। अपना समाज वेदों के बताये हुए धर्म के मार्ग पर चले, जिस से उन्हें मिले हुवे मानव का जन्म सार्थक हो।
मित्रों यदि आपको उपरोक्त श्री रामलला देवस्थानम मंदिर के निर्माण कार्य की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो जय श्री राम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए विडियो देखें: